कभी न भूलो ऐ बालक जो छोटे हैं वही बढ़ते हैं ,
कभी न भूलो ऐ छोटे जो फूलते हैं वही फलते हैं ,
कभी न भूलो ऐ फूल जो फलते हैं सभी रस्धारण नहीं करते हैं ,
वही लुभावन होते हैं जिनसे बहती रसधारा है ,
यही मनुष्य जीवन की भी छोटी सी परिभासा है,
दुनिया उनके पीछे रहती जिनमे गुंड की धरा बहती ,
गंगा जल के ही समान उनके जीवन में खुशियाँ रहतीं |
पर बालक तुम चुप क्यूँ बैठे ? उठो आज से निश्चय कर लो ,
वही फल है तुमको बनना जिसमे रस की बहती जमुना |
एषा कर्म करो ऐ प्राणी सभी करें तुम्हारी जयकारी !
राम रहीम थे धरती के ही प्राणी पर ,
उन्हें माना सब ने जग कल्याणी |
क्या बालक तुम में वह छमता बस्ती है ,
जो राम रहीम की तरह कर्म करने को तुम्हे भी कसती है ? ,
अगर तुम्हारा चित्त द्रिढ़ है और थाम सको जो चंचल मन को ,
तो उठो खड़े हो जाओ बालक क्यूंकि फूल हो तुम ऐशे ,
जिनसे पनफें गे फल रसीले ,
रसपान करेंगे सभी तुम्हारा ,
गुणगान करेंगे सभी तुम्हारा ,
एक दिन होगी तुम्हारी भी जयकारी ,
तुम्हे भी माना जायेगा राम रहीम का अवतारी ,
तुम्हे भी लोग कहेंगे ,
यह भी था एक जग कल्याणी ,
कभी न भूलो ऐ बालक जो ....................
कवी - रजनीश शुक्ल
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